कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट के विकास के उद्देश्य से, SEBI की म्यूचुअल फंड एडवाइजरी कमेटी (MFAC) ने एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था, जिसमें विभिन्न म्यूचुअल फंड, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) और एएमएफआई (AMFI) के सदस्य शामिल थे। इस वर्किंग ग्रुप ने कई सारे सुझाओ के साथ-साथ यह भी सिफारिश किया कि
- 150 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी के साथ लिमिटेड पर्पस क्लियरिंग कॉर्पोरेशन(LPCC) की स्थापना किया जाए।
- हर AMC उनके द्वारा प्रबंधित ओपन-एंडेड डेट म्यूचूअल फंड योजनाओं के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) के अनुपात में LPCC की शेयर पूंजी के लिए योगदान करेगा।
- यह योगदान वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष) 2019-20 के लिए विस्तृत ऋण उन्मुख योजनाओं (Debt Oriented Funds) के औसत एयूएम (AUM) पर आधारित होगा।
- एलपीसी की शेयर पूंजी के लिए योगदान एएमसी (AMC) की ओर से अनिवार्य होगा।
यह आर्टिकल SEBI के परिपत्र (Circular) संख्या SEBI/HO/IMD/DF2/CIR/P/2021/17 पर आधारित है ।