मुद्रास्फीति (Inflation) या महंगाई किसी भी वस्तु या सेवाओं की कीमतों (मूल्यों) में होने वाली एक सामान्य बढ़ोतरी को कहा जाता है । जब वस्तुओं के सामान्य मूल्य बढ़ जाता है , तब मुद्रा की हर इकाई की क्रय शक्ति (Purchasing Power) में कमी होती है। इसको अलग तरीके से बोला जाय तो पैसे की किसी मात्रा से जितनी बस्तुओं या सेवाओं की मात्रा आती है और कुछ समय के बाद उतने ही पैसे में मिलने वाली बस्तुओं और सेवाओं की मात्रा में कमी आ जाती है।
इस चीज को समझने के लिए, हम दूध, पेट्रोल और गोल्ड का उदाहरण लेते है और महंगाई को वास्तविक जीवन के उदाहरण से समझने की कोशिश करते है :
वस्तु | वर्ष – 1990 | वर्ष – 2003 | वर्ष – 2020 | महंगाई की दर |
1 लीटर पेट्रोल | ₹ 9.84 | ₹ 32.49 | ₹ 80 | 7.2% |
1 लीटर दूध | ₹ 6 | ₹ 13 | ₹ 60 | 8.2% |
10 ग्राम गोल्ड | ₹ 3200 | ₹ 5600 | ₹ 46000 | 9.3% |
इस प्रकार देखा जाए तो मुद्रास्फीति या महंगाई तो रहेगी ही या एक तरह से कहे तो मुद्रास्फीति अटल है ।
क्या आप इसके लिए तैयार है ?
रुपये की कीमत मुद्रास्फीति की वजह से घटती जा रही है । अगर मुद्रास्फीति की दर 8% हो और आपके पास वर्तमान में 100 रुपये है तो उसकी कीमत 1 साल के बाद मात्र 92 रुपये रह जाएगी अगर उसको सही तरीके से निवेश नहीं किया गया। इसी कारण निवेश करने के पहले आवश्यक है कि हम यह जांच ले कि क्या आपके निवेश का साधन मुद्रास्फीति की दर से अधिक रिटर्न दे रहा है या नहीं ?
इस बात को अगर संक्षेप में रखा जाए तो –
“हमारे निवेश करने का उद्देश्य सिर्फ बचत करना नहीं होना चाहिये बल्कि यह होना चाहिए कि निवेश पर रिटर्न महंगाई की दर से अधिक मिले।”
इसलिए लंबे अवधि के लिए एक्विटी में निवेश मुद्रास्फीति की दर से अधिक रिटर्न मिलता है । इसको समझने के लिए नीचे दिए गए ब्लॉग को जरूर पढ़ें और आपके कोई बिन्दु समझ में नहीं आया हो तो हमे कमेन्ट करके बताए ।
धन्यवाद !