वित्तीय लक्ष्य को बनाना और उसको प्राप्त करने के बीच का सफर आसान नहीं होता है । इस पूरे सफर को हम एक रोलर कोस्टर का गेम भी कह सकते है और ऑफिस जाते या आते समय के ट्राफिक जाम जैसा बोरिंग भी कह सकते है ।

Roller Coaster
रोलर कॉस्टर इसलिए क्योंकि आपका पोर्ट्फोलीओ कभी आपके के हिसाब से चलता है और कभी आपके बिल्कुल विपरीत चलने लगता है। इसलिए कभी आपको बहुत मजा आता है और कभी आपकी हालत पोर्ट्फोलीओ के रिटर्न देख कर खराब होती है ।  परंतु इसी अनिश्चितता की वजह से ही वेल्थ बिल्डिंग यानि धन बनाना बहुत ही रोमांचक होता है ।
ट्राफिक जाम जैसा बोरिंग इसलिए क्योंकी कभी सालों लग जाता है औरआपका एक्विटी पोर्टफ़ोलिओ, फिक्स्ड़ इंकम वाले स्कीम से भी खराब रिटर्न दे रहा होता है और फिर यह देख कर आपको बहुत ही निराशा का अनुभव होता है ।
traffic jam
लेकिन अगर रास्ता सही है तो आप देर ही सही अपने गंतव्य स्थान तक पहुच ही जाते है । थीक इसी प्रकार अगर आप उचित साधन का इस्तेमाल कर रहे है तो आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को जरूर प्राप्त कर लेंगे भले ही थोड़ा लेट क्यों न हो ।

वित्तीय लक्ष्यों को पाने के 3 सूत्र है । पहला कि हम निवेश जल्द से जल्द सुरू करें ताकि हमारे निवेश पर “मैजिक ऑफ कंपाउन्डींग” का लाभ उठा पाए । दूसरा यह है कि हम निवेश के उचित साधन चुने  ताकि हम मुद्रास्फीति के दर को हरा पाए और लंबे समय में अपने निवेश को बढा पाए और तीसरा यह है कि आपने निवेश सुव्यवस्थित और अनुशासित तरीके से करते रहे।

निवेश जल्दी शुरू करे
+

निवेश के लिए उचित साधन चुने

+

निवेश अनुशासित तरीके से करें

पहला : जल्दी सुरू करे

हम निवेश को जितना जल्दी सुरू करेंगे उतना ही उसको  बढ़ने का समय मिलेगा और इस तरह से इकठ्ठा हुए फंड पर “मैजिक ऑफ कंपाउंडिंग” का लाभ मिलेगा । इस तथ्य को समझने के लिए हम दो लोग राम और श्याम का उदाहरण लेते है। राम और श्याम दोनों एक ही कॉलेज मे पढें और एक ही तरह के जॉब मिला । राम 25 वर्ष की उम्र से ही हर महीने एक म्यूचूअल फंड में 10000 रुपये प्रति माह निवेश सुरू करता है परंतु श्याम यह सोचता कि अभी-अभी तो जॉब लगी है और जब सैलरी बढ़ कर ज्यादा हो जाएगी तो ज्यादा निवेश करेंगे और श्याम इस तरीके से निवेश 45 वर्ष की उम्र से सुरू करता है और 20000 रुपये प्रति माह निवेश करता है ।   
return comparison
इस तरीके से आप देख सकते है की राम और श्याम को रिटाइअर्मन्ट के समय जो फंड मिला उसमे कितना अंतर हो गया ।    नोट : गणना में आसानी के लिए यह मान लेते है कि दोनों एक ही इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते है और उनके निवेश पर रिटर्न 15% मिलता है । 

दूसरा : उचित साधन चुने

महंगाई की दर वित्तीय लक्ष्यों को पाने के मार्ग में सबसे बड़ी रुकावट होता है । आरबीआई के व्होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आंकड़ों के हिसाब से महंगाई की दर पिछले 30 सालों में 6.5% रही है । इसके बाद अगर कुछ वस्तुओ के दाम पर महंगाई की दर निकाली जाए तो वो 6.5% से ज्यादा ही आएगी। कुछ सामान्य जीवन में आने वाली वस्तुओ के मूल्यों के आकड़ों को देखते है ।
वर्ष गोल्ड पेट्रोल दूध
1990 3200 9.8
2003 5600 32.4 13
2020 46000 80 60
महंगाई की दर 9.3% 7.2% 8.2%
इस तरीके यह तो सपस्थ है कि महंगाई हमारे वित्तीय लक्ष्य के मार्ग में सबसे बड़ा रुकावट होता है । इससे बचने के लिए हम ऐसे साधनों में निवेश करते है जो महंगाई की दर को हरा सके । कुछ साधनों जैसे गोल्ड ,सिल्वर, बैंक डिपाजिट  और सेंसेक्स में निवेश पर रिटर्न कुछ इस प्रकार है :
investing instruments

रेफ्रन्स : HANDBOOK OF STATISTICS ON INDIAN ECONOMY

चलिए देखते है अगर इन्ही सारे असेट क्लास में अगर मार्च 1981 मे 1000 रुपये निवेश किए गए होते है तो आज (मार्च 2020) इनकी कीमत क्या होती ?
करंट वैल्यू ऑफ 1000 इन्वेस्टमनेट

इस ग्राफ से  स्पष्ट है कि एक्विटी में निवेश बाकी सभी इंस्ट्रूमेंट के मुकाबले लंबे अवधि में काफी अच्छा है। इसलिए एक्विटी म्यूचूअल फंड लंबे समय में मार्केट रिस्क की तुलना में अच्छा रिटर्न देती है और इसमें लिक्विडिटी और पारदर्शिता भी काफी अच्छा होता है ।

तीसरा : अनुशासन

प्रत्येक निवेशक का ख्वाब होता है कि वह कम कीमत पर खरीदे और उच्चतम मूल्य पर बेचे। लेकिन यह पता करना कि कौन सा समय निवेश के लिए उचित है और कौन सा नहीं ? सस्ते दरों पर मार्केट से उनिट्स को उठाने और महंगे दर पर बेचने के चक्कर में बहुत सारे निवेशक लंबे समय मे अपना  नुकसान कर बैठते हैं । इस चीज से बचाने के लिए सबसे बेस्ट तरीका है : रुपी कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee Cost Averaging) यानि म्यूचूअल फंड में हर एक निश्चित अंतराल पर समान धनराशि निवेश करना। जिसको SIP भी कहते है।लंबे समय में SIP के जरिए म्यूचूअल फंड में निवेश सबसे अच्छा होता है । SIP निवेश से म्यूचूअल फंड में  निवेश से यूनिट मूल्यों का औसत कम हो जाता है क्योंकि हम महंगे और सस्ते दोनों ही दरों पर म्यूचूअल फंड के यूनिट को खरीदते है। इस तरह के निवेश को ही अनुशासित निवेश (Systamatic Investment) कहते है ।

नोट: अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो हमे जरूर बताए और यदि आपका कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताए ।

Pin It on Pinterest

Share This