म्यूचूअल फंड
म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार
निवेश करने समय के आधार पर
1. ओपन एंडेड फण्ड : ऐसे फ़ंड में निवेशक NFO(New Fund Offering) के समय या उसके बाद कभी भी यूनिट ख़रीद सकते है और कभी भी अपने हिस्से के यूनिट बेच सकते है ।
2. क्लोज़ एंडेड फण्ड : ऐसे फ़ंड में निवेशक यूनिट सिर्फ़ NFO(New Fund Offering) के टाइम ही ख़रीद सकते है और इन फ़ंड की मेच्योरिटी फ़िक्स्ड समय की होती है ।
3. इंटरवल फण्ड : ऐसे फ़ंड के यूनिट एक विशिष्ट समय अंतराल में ही ख़रीद और बेच सकते है। इस विशिष्ट अंतराल को “ट्रानजैक्सन पिरीयड” भी कहते है और दो ट्रानजैक्सन पिरीयड के बीच के समय को “इंटर्वल पिरीयड” कहते है। इस प्रकार के म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में इंटरवल “ओपन एंडेड फंड” और “क्लोज एंडेड फंड” का एक सही मिश्रण है। ये फ़ंड इक्वटी और डेब्ट दोनो ही इंस्ट्रुमेंट में निवेश कर सकते है ।
निवेश के साधन के आधार पर
1. इक्विटी फ़ंड : जैसा कि नाम से पता चलता है, इक्विटी फंड विभिन्न कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। फंड मैनेजर विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों में अपना निवेश करके शानदार रिटर्न देने की कोशिश करता है। आमतौर पर, इक्विटी फंड को टर्म डिपॉजिट या डेट-बेस्ड फंड से बेहतर रिटर्न देने के लिए जाना जाता है। इन फंडों से जुड़े जोखिम की मात्रा ज़्यादा है क्योंकि उनका प्रदर्शन विभिन्न बाजार स्थितियों पर निर्भर करता है।
2. डेट फ़ंड : डेट फंड ऐसे सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जो ट्रेजरी बिल, कॉरपोरेट बॉन्ड, कमर्शियल पेपर, सरकारी सिक्योरिटीज और कई अन्य मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे निश्चित आय उत्पन्न करते हैं। इन सभी उपकरणों में एक पूर्व-निर्धारित परिपक्वता तिथि और ब्याज दर है जिसे खरीदार परिपक्वता पर कमा सकता है – इसलिए नाम निश्चित आय प्रतिभूतियां। बाजार में उतार-चढ़ाव से आम तौर पर रिटर्न प्रभावित नहीं होता है। इसलिए, ऋण प्रतिभूतियों को कम जोखिम वाले निवेश विकल्प माना जाता है।
3. हाइब्रिड फ़ंड : जैसा कि नाम से पता चल रहा है कि हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट निवेश का एक संयोजन है, जो योजना के निवेश उद्देश्य को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए गया हैं।
निवेश के प्रबंधन के तरीके से
1. एक्टिव फ़ंड : इस तरह के म्यूचूअल फ़ंड (Mutual Fund) में फंड मैनेजर निवेश फ़ंड के उद्देश्य के व्यापक मापदंडों के भीतर निवेश के लिए पोर्टफोलियो बनाते है। चूंकि इससे फंड मैनेजर की भूमिका बढ़ जाती है, फंड को चलाने का खर्च भी अधिक हो जाता है। निवेशकों को यह उम्मीद रहती है कि ऐसे फ़ंड बाजार से बेहतर रिटर्न देंगे।
2. पैसिव फ़ंड : पैसिव फ़ंड या निष्क्रिय फंड एक इंडेक्स के आधार पर निवेश करते हैं और ये फ़ंड इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं। उदाहरण के लिए कूछ फ़ंड ऐसे है जो कि सेन्सेक्स और निफ़्टी 50 को ट्रैक करते है।
म्यूचूअल फ़ंड के फ़ायदे
- पेशेवर तरीक़े से प्रबंधन (Professionally Managed)
जैसे की आपकी पता है की म्यूचूअल फ़ंड (Mutual Fund) में इकट्ठा हुए पैसे शेयरों, सरकारी प्रतिभूतियों (government securities), कम्पनी प्रतिभूतियी (corporate securities), सोना (gold) और कूछ अन्य तरह की संपतियो (assets) में लगाये जाते है। इन सब में पैसे निवेश करने कि लिए विशेष कौशल (skill) की आवश्यकता होती है और बाज़ार में निवेश के लिए सबसे अच्छा विकल्प खोजने के लिए ढेर सारा रीसर्च और विश्लेषण (analysis) करना पड़ता है । इसके साथ-साथ मैक्रोइकोनोमिक्स, कम्पनी वित्तीय और भी भिन्न भिन्न क्षेत्रों की जानकारी चाहिए होता है ।आपको एसेट क्लास के नजरिए से मैक्रो इकोनॉमी, सेक्टर, कंपनी फाइनेंशियल जैसे मामलों पर ज्ञान की जरूरत है। लेकिन अगर आपके पास बाजार को गहराई से समझने का कौशल या समय नहीं है, तो म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है। यहां, एक पेशेवर फंड मैनेजर आपके निवेश का ख्याल रखता है और उचित रिटर्न प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत करता है और आपको अपने म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) निवेश के पेशेवर प्रबंधन के लिए विशिष्ट शुल्क का भुगतान करना होता है।
- रिटर्न (Returns)
वैसे तो म्यूचूअल फ़ंड(Mutual Fund) में निवेश पर रिटर्न बाजार के प्रदर्शन से जुड़ा होता है परंतु पारंपरिक निवेश के विकल्पों जैसे फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, बचत पत्रों की तुलना में अधिक रिटर्न मिलने को सम्भावना होती है। इसलिए, यदि बाजार तेजी से चल रहा है तो इसका असर आपके फंड के मूल्य यह बहुत अच्छा हो जाएगा । हालांकि, बाजार का खराब प्रदर्शन आपके निवेश को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। पारंपरिक निवेशों के विपरीत, म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) पूंजी संरक्षण का आश्वासन नहीं देते हैं। इसलिए अपना शोध करें और उन फंडों में निवेश करें जो जीवन में सही समय पर आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में आपकी मदद कर सकें।
- विविधता (Diversification)
जब आप केवल एक ही परिसंपत्ति (asset class) में निवेश करते हैं और वो परिसंपत्ति किसी नुक़सान में आ जाती है तो आपको बड़ा नुक़सान हो सकता है जैसे कि आपने सोने के भाव को घटते बढ़ते सुना होगा ।लेकिन इस तरह की चीज़ से बचने के लिए म्यूचूअल फ़ंड भिन्न भिन्न परिसंपत्तियो में निवेश करता है ।आपने ये कहावत तो सुनी होगी ।
“अपने सभी अंडे एक टोकरी में नही रखे जाते”
ठीक ऐसे ही यदि आप शेयरों में निवेश कर रहे है और आपको विविधता लानी है तो आपको अलग-अलग क्षेत्रों से कम से कम दस शेयरों का चयन करना होगा। इन शेयरों के बारे में रीसर्च और विश्लेषण में काफ़ी समय लगेगा परंतु आप जब म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आप तुरंत विविधीकरण प्राप्त कर लेते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप एक म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं जो बीएसई सेंसेक्स को ट्रैक करता है, तो आपको एक ही फंड में सेक्टरों में 30 से अधिक शेयरों तक पहुंच प्राप्त होगी। इससे आपका जोखिम काफी हद तक कम हो सकता है।
- कर लाभ (Tax Benefit)
जी हाँ, म्यूचूअल फ़ंड (Mutual Fund) के निवेशक कर देने में भी छूट पा सकते है। इक्विटी लिंकड सेविंग स्कीम (ई॰एल॰एस॰एस॰) वाले म्यूचूअल फ़ंड में निवेश करके निवेशक अपने डेढ़ लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स बेनिफ़िट प्राप्त कर सकते है । यह लाभ आयकर अधिनियम के धारा 80C अंतर्गत आती है। इसमें आप अपना निवेश किया हुआ पैसा तीन साल बाद निकल भी सकते है । - पारदर्शिता (Transparency)
म्यूचूअल फ़ंड (Mutual Fund) हर तरीक़े से पारदर्शी निवेश है । म्यूचूअल फ़ंड(Mutual Fund) में पैसो का निवेश फ़ंड मैनेजर स्कीम आब्जेक्टिव के हिसाब से करता है और म्यूचूअल फ़ंड (Mutual Fund) की स्कीम डॉक्युमेंट पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रहती है जिसको कोई भी पढ़ सकता है । यही नही अगर फ़ंड मैनेजर निवेश के लक्ष्य को बदलता है तो हर निवेशक को बताया जाता है और कूछ दिनो का समय भी दिया जाता है कि अगर निवेशक नए निवेश के लक्ष्य के साथ संतुष्ट नहीं है तो वह बिना एग्झिट लोड के अपने पैसे निकल सकता है।
- एस॰आई॰पी॰ निवेश (SIP Investment )
म्यूचूअल फ़ंड (Mutual Fund) में निवेश करने के लिए SIP की भी सुबिधा उपलब्ध है जिससे निवेशक थोड़ा थोड़ा करने हर महीने या एक समय अंतराल पर पैसे निवेस कर सकता है और इस तरीक़े से लम्बे अवधि तक निवेश करने से निवेशक को मार्केट के उतर चढ़ाव का फ़ायदा भी मिलता है । SIP के तरह ही निवेशक अपने जमा पैसों को SWP के ज़रिए धीरे धीरे निकल भी सकता है और मार्केट के उतार -चढ़ाव से निवेश किए हुआ पैसो को सुरक्षा भी मिलती है ।
म्यूचुअल फंड की कमियाँ
वैसे तो आप विज्ञापन देखते और सुनते होंगे “म्यूचूअल फ़ंड सही है” or “Mutual Fund Sahi Hai” परंतु इसमें कमी क्या है वह कोई नहीं बताता। हमने अपनी गहरी रीसर्च से इसकी कूछ कमियों की भी सूची बनायी है जो कूछ इस तरह है
- अत्यधिक विकल्पों का होना (Choice Overload)
आज बाज़ार में करीब क़रीब 44 ए॰एम॰सी॰ मौजूद है और इन सबका मिला कर लगभग 12000 म्यूचूअल फ़ंड स्कीम बाज़ार में उपलब्ध है । एक आम इंसान कि लिए ये इनमें से चयन करना बड़ा ही कठिन हो जाता है ।
- व्यय अनुपात पर कोई नियंत्रण नहीं होता (lack of control over expense ratio )
म्यूचूअल फ़ंड के व्यय अनुपात (expense ratio ) पर इन्वेस्टर का कोई कंट्रोल नहीं होता है ।वैसे तो SEBI ने इस पर दिशा निर्देश देती रहती है परंतु फिर भी इनमें इक्स्पेन्स अनुपात पर कोई नियंत्रण नहीं होता ।
- मनपनसंद पोर्टफ़ोलियो का ना होना (lack of portfolio customization)
म्यूचूअल फ़ंड में जमा किए हुए पैसों को फ़ंड मैनेजर फ़ंड के स्कीम डॉक्युमेंट के हिसाब से निवेश करता है और सभी निवेशको का पैसे उसी तरह से निवेश होता है । अगर कोई निवेशक ये चाहता है उसके पैसे जिन ऐसेट क्लास में लगे है उसी में हमेशा लगे रहे तो ऐसा सम्भव नहीं है क्योंकि फ़ंड मैनेजर समय समय पर फ़ंड के निवेश को जाँच करके बदलता रहता है ।
- स्थिर रिटर्न नहीं होता (No constant return )
म्यूचूअल फ़ंड(Mutual Fund) के रिटर्न बाज़ार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है तो इसके रिटर्न में अनिश्चित्तता बना रहता है।
निष्कर्ष
म्यूचूअल फ़ंड (Mutual Fund) एक आम निवेशक के लिए बहुत ही अच्छा साधन है । इसमें परम्परागत निवेश के साधनो के अपेक्षा ज़्यादा रिटर्न मिलता है । हालाँकि ये रिटर्न बाज़ार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है लेकिन अगर आप SIP के माध्यम से अपने पैसे को निवेश करते है जो अवश्य ही आप अच्छा पैसे बना पाएँगे ।