अगर आप किसी भी Financial Professional से पूछेंगे कि ‘क्या निवेशकों को अपने निवेश में Diversification रखना चाहिए?‘ तो वो इसका एक आसान सा जवाब देते है : हाँ । क्योंकि Diversification ही निवेश में जोखिम कम करने की प्रमुख रणनीति है। इसके लिए International Mutual Funds को विचार मे लाया जा सकता है ।
आम तौर पर, हम Diversification को Unrelated Asset Classes में निवेश के रूप में देखते हैं। लेकिन Diversification अपने निवेश में जोखिम को अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रों में फैलाना भी है। इसके लिए एक बहुत ही अच्छा साधन है : International Mutual Funds
चलिए इसके बारे में विस्तार में जानते है :
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International Mutual Funds क्या होते है ?
इंटरनेशनल म्यूचूअल फंड एक तरीके के इक्विटी म्यूचूअल फंड हैं जो भारत के बाहर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। ये फंड आपको दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों में निवेश करने में मदद करते हैं।
आमतौर पर हर व्यक्ति अपनी सारी बचत अपने देश में निवेश करता हैं। इसके कारण निवेशक के निवेश पर देश से संबंधित सभी जोखिम का खतरा बना रहता है।
यानी देश में कोई भी नकारात्मक आर्थिक या राजनीतिक घटना, आपके निवेश के रिटर्न को प्रभावित कर सकती है। इसलिए आपको Country से संबंधित Risk से बचने के लिए International Mutual Funds में निवेश करना चाहिए।
International Funds में निवेश करने के विकल्प
आप International Mutual Funds में निवेश ठीक वैसे ही कर सकते है जैसे कि आप सामान्य एक्विटी म्यूचूअल फंड मे करते है । आप इन फंड मे निवेश करते है और आपको NAV के हिसाब से आपको यूनिट मिल जाते है।
आइए जानते है, 5 म्यूचूअल फंड्ज जो International स्टॉक्स मे निवेश करते है –
- Motilal Oswal Nasdaq 100 FOF Direct Growth
- Edelweiss Greater China Equity Off shore Fund Direct Growth
- PGIM India Global Equity Opportunities Fund Direct Growth
- ICICI Prudential US Bluechip Equity Direct Plan Growth
- Franklin India Feeder Franklin US Opportuni ties Direct Fund Growth
नोट : अभी हाल ही में सेबी ने सभी International Mutual Funds में SIP और lumpsum दोनों ही तरह के निवेश को रोक दिया है। इसके बारे में आप विस्तार मे यहाँ पर पढ़ सकते है ।
International Funds के लाभ
- कम जोखिम – इंटरनेशनल फंड में निवेश करने से पोर्टफोलियो को Diversification मिलता है।
- बड़ा Investment Basket – इंटरनेशनल फंड के जरिए आप उन अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों में निवेश कर सकते है जो भारत में सूचीबद्ध नहीं हैं। 4
- No Limit – आरबीआई ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि, विदेशी फंडों के जरिए किए गए निवेश पर इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, व्यक्तियों के लिए वार्षिक विदेशी निवेश सीमा US $ 250,000 (लगभग 1.7 करोड़) है।
- विदेश में शिक्षा की योजना बनाने के लिए – कई निवेशक चाहते है कि उनके बच्चे विदेशी विश्वविद्यालय में पढ़ें। विदेशी शिक्षा के बारे में अच्छी तरह से जागरूक होने के कारण कई माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा के लिए बचत करते हैं। हालांकि, ये बचत निवेश पर मुद्रा के प्रभाव को पर्याप्त रूप से नहीं दर्शाती है। वर्ष 2008 को विस्तृत रूप से मानने के लिए, निवेशक गणना करते हैं कि उन्हें 10 वर्षों की अवधि में अपने बेटे की शिक्षा के लिए 50 हजार डॉलर यानी 21 लाख बचाने की आवश्यकता है। 2008 में USD/INR 42 के आसपास था। लेकिन 2018 में 1 डॉलर=68 रुपये का हो गया था जो कि 61% का परिवर्तन है। 2018 में वही राशि 50 हजार अमरीकी डालर की रुपयों में कीमत 34 लाख रुपये हो गई। यह भारी वृद्धि ग्राहक की वित्तीय गणना को उसके सिर पर ले जाएगी। इसके बजाय यदि निवेशक ने अमेरिकी बाजारों में निवेश करने वाले विदेशी फंड में निवेश किया होता तो मुद्रा की गति का ग्राहक के वित्त पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
International Funds के नुकसान
- वैश्विक जोखिम बढ़ जाता है – आपका पोर्टफोलियो उन सभी दशो के अर्थव्यवस्थाओं केविशिष्ट जोखिमों के संपर्क में है जिनमें अंतर्राष्ट्रीय फंड निवेश करता है।
- मुद्रा जोखिम -अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश करते समय यह मुख्य जोखिम है। अंतर्निहित निवेश की मुद्रा की तुलना में रुपये में कोई भी उतार-चढ़ाव योजना के प्रदर्शन को प्रभावित करता है। ऐसे दशा में जब रुपया मजबूत होता है तो रिटर्न पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जबकि रुपये का मूल्यह्रास होना रिटर्न को बढ़ाता है।
- कर अक्षमता – कर उद्देश्यों के लिए, उन्हें डेट फंड के रूप में माना जाता है। इससे पहले जब इक्विटी के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) शून्य था, विदेशी फंड एक महत्वपूर्ण नुकसान में थे। हालाँकि, इस असमानता ने बजट के बाद कम कर दिया है क्योंकि सरकार ने इक्विटी निवेश पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) कर फिर से शुरू किया है।